उपभोग | Consumption
साधारण बोलचाल की भाषा में उपयोग से आशय किसी वस्तु के प्रयोग से है। परंतु अर्थशास्त्र में उद्योग से आशय किसी वस्तु की उपयोगिता को नष्ट करने से है। परंतु उपयोगिता को नष्ट करने की क्रिया को केवल उपभोग नहीं कह सकते साथ ही आवश्यकता की पूर्ति भी होनी चाहिए। उत्पादन में वस्तु की उपयोगिता का सृजन तथा उपभोग में नष्ट होता है। मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रत्यक्ष एवं अंतिम प्रयोग उपभोग कहलाता है। उपभोग इन चार बातों से अभिप्रेरित होती है –- 1. बहुत से मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति होती है
- 2. संतुष्टि में उपयोगिता का नाश होता है
- 3. संतुष्टि वस्तु तथा सेवा के उपयोग से होती है
- 4. वस्तु तथा सेवा का प्रत्यक्ष एवं अंतिम प्रयोग उपभोग है।