भारत में मुद्रा, बैंकिंग एवं पूंजी बाजार:
जिस व्यवस्था में विभिन्न पक्षों द्वारा वित्त और प्रक्रियागत व्यवस्था होती है और उस मांग की पूर्ति के लिए एक आधारभूत संरचना और प्रक्रियागत व्यवस्था होती है उसे वित्त व्यवस्था कहते हैं।भारतीय वित्त व्यवस्था को दो भागों में बांटा गया है :
- भारतीय मुद्रा बाजार
- भारतीय पूंजी बाजार
(I) संगठित क्षेत्र - संगठित क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं तथा विदेशी बैंक आते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक को संगठित मुद्रा बाजार में शीर्ष संस्था माना जाता है।
(II) असंगठित क्षेत्र - असंगठित क्षेत्र में साहूकार, महाजन, गैर वित्तीय कंपनियां (NBFCs) जैसे परम्परागत स्रोत आदि आते है।
पूंजी बाजार मध्यम तथा दीर्घकाल के लिए ऋण उपलब्ध कराती है। पूंजी बाजार को दो भागों में बांटा गया है :
(I) गिल्ट एज्ड बाजार - इस बाजार में रिजर्व बैंक के माध्यम से सरकारी और अर्ध सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है।
(II) औद्योगिक प्रतिभूति बाजार - इस बाजार में औद्योगिक उपक्रमों के शेयरों और डिबेंचरों का क्रय-विक्रय किया जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
भारतीय रिजर्व बैंक को 'बैंकों का बैंक' कहा जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। इसकी स्थापना 1926 में गठित हिल्टन आयोग के सिफारिश पर 1934 में आरबीआई अधिनियम पर वायसराय वेलिंगटन ने हस्ताक्षर कर किया गया और 1 अप्रैल 1935 से RBI कार्य कर रही है। आरबीआई का पहला गवर्नर सर ओसबोर्न स्मिथ (1935-37), दूसरा गवर्नर जेम्स ट्रेलर थे। आरबीआई के वर्तमान (2018) गवर्नर उर्जित पटेल हैं। आरबीआई की स्थापना के समय राशि 5 करोड़ थी। शेयर होल्डरों की संख्या 5 लाख थी। प्रत्येक शेयरहोल्डर का अंश ₹100 था। हजारी समिति के सिफारिश पर 1 जनवरी 1949 को आरबीआई का राष्ट्रीयकरण किया गया। RBI का प्रधान मुख्यालय मुंबई है और चार स्थानीय कार्यालय हैं - दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई।जहां आरबीआई कार्य नहीं करती है वहां SBI कार्य करती है।RBI का प्रबंधन 20 सदस्यों द्वारा होता है : एक गवर्नर, 4 डिप्टी गवर्नर, एक वित्त मंत्रालय का अधिकारी, 10 भारत सरकार द्वारा नियुक्त आर्थिक विशेषज्ञ और चार स्थानीय बोर्ड के लिए नामित किए जाते हैं।
आरबीआई अधिनियम की धारा 22 के तहत ₹1 के नोट और सिक्कों को छोड़कर (जिसे वित्त मंत्रालय निर्गत करता है) सभी नोट RBI जारी करती है। 1957 के बाद स्वर्ण मुद्रा और ऋण के रूप में 200 करोड़ से कम की रकम नहीं रहनी चाहिए। इसमें कम से कम 115 करोड़ का सोना होना चाहिए। आरबीआई के अधिनियम 24 के तहत वाणिज्यिक बैंकों को 25 - 30% तक मुद्रा अपने पास रखना पड़ता है।
आरबीआई बैंक का एजेंट परामर्शदाता और सलाहकार के रूप में कार्य करती है, ऋण की व्यवस्था भी करती है और सरकार के लिए 90 दिन के लिए अग्रिम भुगतान भी करती है।
आरबीआई शाख नियंत्रण के लिए दो तरीके अपनाती है :
- परिमाणात्मक
- गुणात्मक