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19 April 2018

योजना आयोग | The Planning Commission of India

योजना आयोग | Planning Commission

1934 में एम विश्वेश्वरैया ने अपनी पुस्तक आर्थिक नियोजन या Planned Economic of India में 10 वर्षीय योजना को प्रस्तुत किया और 10 वर्षों में आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया।
हरिपुरा अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस ने नियोजन समिति का गठन किया और और पंडित जवाहरलाल नेहरु को अध्यक्ष तथा KP साह को नियोजन समिति का अवैतनिक मंत्री बनाया।
भारत सरकार ने 1944 में नियोजन एवं विकास विभाग का गठन किया।
1944 में मुंबई के 8 उद्योगपतियों ने एक प्लान बनाया जिसका नाम "A Plan for Economic Development India" रखा। इस प्लान को बॉम्बे प्लान के नाम से भी जाना जाता है। इसका अध्यक्ष जेआरडी टाटा और उपाध्यक्ष दामोदर दास बिरला बने। इसीलिए मुंबई प्लान को टाटा बिरला प्लान भी कहा जाता है। यह प्लान 15 वर्षीय था।
आर्देशिर दलाल की अध्यक्षता में नियोजन एवं विकास विभाग की स्थापना की गई। इस प्लान में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना और राष्ट्रीय आय को 3 गुना करने का लक्ष्य रखा गया। प्रति व्यक्ति आय ₹65 से बढ़ाकर 130 करने का लक्ष्य रखा गया।
1944 में ही वर्धा कॉलेज के प्रिंसिपल मन्नारायण ने 3500 करोड़ रुपए का 10 वर्षीय प्लान दिया इसमें कृषि और विकास पर बल दिया गया। इस प्लान को गांधीवादी योजना भी कहा जाता है।
1945 में माधवन नाथ राय ने पीपुल्स प्लान या जन योजना या जनता योजना दिया। यह प्लान 10 वर्षीय था और 1928 के रूस योजना से अभिप्रेरित था। रूस में स्टालिन के समय प्रोफेसर रोम फील्ड ने रूस योजना को तैयार किया था। जिसकी सहायता से स्टालिन ने 1928 में 4 वर्षीय योजना को लागू किया। जन योजना सामूहिक या सहकारी खेती पर आधारित था यानी मुख्य रूप से कृषि विकास पर आधारित था।
1944 - 46 के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा नियोजन बोर्ड की स्थापना की गई और 1946 में ही के सी नियोगी की अध्यक्षता में योजना परिषद का गठन किया गया।
देश स्वतंत्र होने के बाद नवंबर 1947 में केंद्र सरकार ने आर्थिक प्रोग्राम समिति का गठन किया। यह समिति 25 जनवरी 1948 को अपना रिपोर्ट दिया।
1938 में गठित नियोजन समिति ने अपना रिपोर्ट द्वितीय विश्व युद्ध होने के कारण 1948 में प्रकाशित किया।
1950 में जयप्रकाश नारायण सर्वोदय प्लान (समग्र विकास) दिया। इस प्लान को केंद्र ने संशोधित रूप से स्वीकार करते हुए 15 मार्च 1950 को सलाहकारी या परामर्शदात्री या मंत्रिमंडलीय प्रस्ताव या संविधान निकेत्तर संस्था के रूप में योजना आयोग का गठन किया। योजना आयोग के पहले अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरु और उपाध्यक्ष गुलजारीलाल बने। योजना आयोग के पांच पूर्णकालीन सदस्य थे –
  • गुलजारी लाल नंदा
  • दुर्गाबाई देशमुख
  • टी कृष्णचारी
  • डी एल मेहता
  • एस के पाटिल
दुर्गाबाई देशमुख और गुलजारी लाल नंदा दोनों मंत्री थे जिन्हें सदस्य बनाया गया।
योजना आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है परंतु बहुमत के आधार पर सामान्यत: 5 साल होता है। 1967 में अध्यक्ष और वित्त मंत्री को लेकर विवाद हुआ इसीलिए 1971 में यह व्यवस्था कर दिया गया कि योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे और नियोजन मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। 1977 में जब जनता पार्टी सत्ता में आई तब यह अनिवार्यता समाप्त कर दिया गया कि नियोजन मंत्री ही उपाध्यक्ष होंगे। परंतु 1980 में कांग्रेस सत्ता में आई और पुनः व्यवस्था लागू कर दिया गया।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है और सदस्य को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाता है। योजना आयोग की शक्ति को देखते हुए के संथानम ने इसे सुपर कैबिनेट कहा। योजना आयोग का प्रारंभ 1 अप्रैल और बंदी 31 मार्च को होता है। अंतिम पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक चला।

NITI आयोग

वर्तमान समय में 1 जनवरी 2015 से नीति आयोग (NITI आयोग) कार्य कर रही है। योजना आयोग को A.H. हैन्सन के सिफारिश पर सलाहकारी संस्था बनाया गया था। 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और 17 अगस्त 2014 को  योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया। योजना आयोग के स्थान पर स्थान पर 1 जून 2015 को नीति आयोग का गठन किया गया। NITI आयोग का पूरा नाम  National Institute for Transforming India (राष्‍ट्रीय भारत परिवर्तन संस्‍थान) है। नीति आयोग का गठन मंत्रिमंडल के प्रस्ताव पर किया गया। योजना आयोग के अंतिम अध्यक्ष मनमोहन सिंह थे। वर्तमान समय में नीति आयोग में कुल 13 सदस्य हैं जिसमें 8 राजनीतिक सदस्य हैं। अध्यक्ष नरेंद्र मोदी के अलावा 4 स्थाई सदस्य :
  • अरुण जेटली (वित्त मंत्री)
  • राजनाथ सिंह (गृहमंत्री)
  • राधा मोहन (कृषि मंत्री)
  • पीयूष गोयल (रेल मंत्री)
  • नितिन गडकरी (सड़क व परिवहन और जहाजरानी मंत्री) (विशेष)
नीति आयोग सहकारी संघवाद पर आधारित है और केंद्रीयकृत योजना के स्थान पर विकेंद्रीकृत योजना पर आधारित है। इसमें केंद्र से राज्यों की ओर चलने वाली योजना को सम्मिलित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य कि राज्यों की भागीदारी को बढ़ाया जाए और योजना का निर्माण नीचे से ऊपर की ओर हो।

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