हैलोजन | Halogen :
वर्ग VIIA या आवर्त सारणी के समूह 17 के तत्व हैलोजन कहलाते है। हैलोजन शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द हैलस से हुई है जिसका अर्थ होता रंगीन होता है। रंगीन यौगिक बनाने के कारण ही इन्हें हैलोजन कहा जाता है। हैलोजन तत्व के अंतर्गत फ्लोरिन, ब्रोमीन, क्लोरीन, आयोडीन और स्टेटिन आते है। हेलोजन का अर्थ लवन बनाने वाला होता है। हैलोजन ऋण आवेश देता है और इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता करता है।
हैलोजन तत्व :
फ्लोरिन (Fluorine - F)
हैलोजन में सबसे अधिक प्रबल ऑक्सीकारक और विद्युत ऋनात्मक तत्व फ्लोरीन है। फ़्लोरिन की प्रकृति विस्फोटक होती है। फ्लोरिंग सिर्फ हीलियम, ऑर्गन तथा निकेल को छोड़कर सभी धातुओं के साथ अभिक्रिया करता है। टेफ्लॉन (संश्लेषित रबर) एवं टूथपेस्ट बनाने में फ्लोरिन उपयोग होता है।
क्लोरीन (Chlorine - Cl )
क्लोरीन मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। यह साधारण लवण (NaCl) सिल्वाइन (KCL), कर्नालाइट (KCl,MgCl2.6H2O ) में संयुक्त रुप से उपस्थित रहता है। समुद्री जल में भार के अनुसार क्लोराइड की मात्रा 30% होती है। क्लोरीन की खोज 1886 में मायसन के द्वारा किया गया। हैलोजन में क्लोरीन में सबसे अधिक NaCL पाया जाता है। क्लोरीन का उपयोग कीटनाशी में, औषधि बनाने में, पीने वाले जल को रोगाणु मुक्त करने में तथा कागज की लुगदी बनाने में किया जाता है। क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन जल के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोहेलिक अम्ल का निर्माण करती है।ब्रोमीन ( Bromine - Br )
ब्रोमिन द्रव्य के रूप में पाए जाने वाला एकमात्र अधातु है। ब्रोमीन मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। समुद्री जल में यह सोडियम, पोटेशियम एवं मैग्नीशियम के ब्रोमाइड के रूप में 0.006% पाया जाता है। जर्मनी के स्टैसफर्ट नामक स्थान में उपलब्ध कार्नालाइट के साथ ब्रोमोकार्नालाइ (KBr.MGBr2.6H2O) पाया जाता है। ब्रोमिन का उपयोग शीशा कृत पेट्रोल पेट्रोल में, फोटोग्राफी बनाने में, एथिलीन ब्रोमाइड के संश्लेषण में किया जाता है।आयोडीन ( Iodine - I )
आयोडीन भी मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। यह चिली साल्टपीटर या कैलिश में आयोडीन सोडियम आयोडेट (NalO3) के रूप में पाया जाता है।आयोडीन थायराइड ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन थायरोक्सिन का प्रमुख संगठक है। आयोडीन का उपयोग आइडोफार्म बनाने में, पोटेशियम आयोडाइड बनाने में और थायराइड ग्रंथि को ठीक करने में क्या जाता है। यदि NaCl में सोडियम और पोटेशियम की निश्चित मात्रा मिला देने से आयोडीनयुक्त नमक का निर्माण होता है। आयोडीन के अल्कोहलिक विलियन को टिंचर आयोडीन कहते हैं। टिंचर आयोडीन का उपयोग एंटीसेप्टिक में किया जाता है।