शुंग वंश | Shunga Empire :
पुष्यमित्र शुंग मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहद्रथ का सेनापति था इन्होंंने वृहद्रथ की हत्या कर 184 ईसापूर्व में शुंग वंश (Shunga Empire) की स्थापना किया। शासक बनने से पहले ये अवंति के गवर्नर थे। ये सेनानी के नाम से विख्यात थे तथा ब्रह्मण धर्म मानते थे। पुष्यमित्र शुंग ने विदिशा को दूसरी राजधानी बनाया और वहां का गवर्नर अपने पुत्र अग्निमित्र को बनाया। सम्राज्य विस्तार के क्रम में विरल या बरार को अपने अधीन किया।![]() |
By Windy City Dude, via Wikimedia Commons
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पुष्यमित्र शुंग ने अपने पुत्र अग्निमित्र को यज्ञ सेन पर आक्रमण करने के लिए विदर्भ भेजा। अग्निमित्र ने यज्ञसेन के चचेरे भाई माधव सेन को अपनी ओर मिला लिया और विदर्भ पर आक्रमण कर यज्ञसेन को पराजित कर दिया। विदर्भ राज्य को यज्ञसेन और माधव सेन ने आपस में बांट लिया और दोनों पुष्यमित्र शुंग की अधीनता में शासन करने लगे। इनकी जानकारी कालिदास के नाटक मालविकाग्निमित्रम् से मिलती है। मालविकाग्निमित्रम के नायक अग्निमित्र हैं।
बौद्ध ग्रंथ दिव्य ज्ञान से पता चलता है कि पुष्यमित्र ने अशोक द्वारा निर्मित 84000 स्तूप को नष्ट करवा दिया गया।
यज्ञसेन विदर्भ का शासक था जिसने मौर्य साम्राज्य के अंत होने पर स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था।पुष्यमित्र शुंग के प्रमुख पुरोहित पतंजलि थे। पुष्यमित्र शुंग ने दो अश्वमेघ यज्ञ किया और अपना छोड़ा, यमन नरेश मिनांडर (डेमेट्रियस के सेनापति) ने सिंधु नदी के किनारे घोड़ा को रोक कर युद्ध का आवाह्न किया । अग्निमित्र का पुत्र वसुमित्र ने युद्ध किया। युद्ध में अंतिम सफलता वसुमित्र को मिली। युद्ध तथा अश्वमेघ यज्ञ की जानकारी अयोध्या अभिलेख से मिलती है।
बौद्ध ग्रंथ दिव्य ज्ञान से पता चलता है कि पुष्यमित्र ने अशोक द्वारा निर्मित 84000 स्तूप को नष्ट करवा दिया गया।
पुष्यमित्र शुंग 184 से 148 ईसापूर्व तक शासन किया। इनका पुत्र अग्निमित्र 8 वर्षों तक शासन किया।
अग्निमित्र ने ही बौद्ध भिक्षु भगवती को संरक्षण दिया और अग्निमित्र के समय ही सांची और बोधगया में अनेकों स्पुत का पुनर्निर्माण हुआ। भरहुत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया।
अग्निमित्र ने ही बौद्ध भिक्षु भगवती को संरक्षण दिया और अग्निमित्र के समय ही सांची और बोधगया में अनेकों स्पुत का पुनर्निर्माण हुआ। भरहुत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया।
भागवत या भागभद्र शुंग वंश का नौवा राजा था उसके शासनकाल में तक्षशिला के यवन राजा एन्टियलकिड्स का राजदूत हेलियोडोरस शुंग राज दरबार में आया था
शुंग काल में भागवत धर्म का उदय हुआ। शुंग काल में ही यवन शासक हेलियोडोरस ने वासुदेव कृष्ण के सम्मान में विदिशा में गरुड़ स्तंभ का निर्माण करवाया और भागवत धर्म में विष्णु की पूजा प्रारंभ करवाया। हेलियोडोरस प्रथम विदेशी शासक थे जिन्होंने भागवत धर्म को अपनाया।
शुंग काल में ही रामायण, महाभारत तथा मनुस्मृति ने अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया। मनुस्मृति को भारत का कानून संहिता कहा जाता है।
शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति या देवभूमि थे इनके प्रधान-मंत्री वासुदेव ने इनकी हत्या कर 73 ईसापूर्व में कण्व वंश की स्थापना किया।