अम्ल क्षार एवं लवण | Acids, bases and salt :
अम्ल की परिभाषा : आरहेनियस के अनुसार "अम्ल ऐसा यौगिक है जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) देता है"।Brønsted-Lowry acid–base theory के अनुसार "अम्ल अन्य पदार्थ के साथ मिलकर प्रोटॉन का त्याग करता है।"
रॉबर्ट बॉयल के अनुसार "अम्ल का स्वाद खट्टा होता है, यह नीला लिटमस पेपर को लाल कर देता है तथा क्षार के साथ मिलकर लवण तथा जल का निर्माण करता है।"
अम्ल तथा उनके स्त्रोत :
स्त्रोत
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अम्ल
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नींबू नारंगी तथा संतरा
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सिट्रिक अम्ल
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सिरका तथा अचार
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एसिटिक अम्ल
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दूध
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लैक्टिक अम्ल
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मक्खन
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ब्यूटेरिक एसिड
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इमली तथा अंगूर
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टार्टरिक अम्ल
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लाल चीटी
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फार्मिक अम्ल
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चाय
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टैनिक अम्ल
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चींटी के डंक में
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मैथेनॉइक अम्ल
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सोडा वाटर
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कार्बनिक अम्ल
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टमाटर
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ऑक्सेलिक अम्ल
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अम्ल के उपयोग (Uses of acid) –
- सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग संचायक सेल में होता है।
- कपड़ा से जंग के दाग धब्बे हटाने के लिए ऑक्जेलिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
- लोहे पर जस्ते की परत चढ़ाने (galvanising) से पहले उसे H2SO4 एवं NHO3 से साफ किया जाता है।
- NHO3 का उपयोग गहनों की सफाई में किया जाता है।
- NHO3 का उपयोग धातुओं के ऊपर खुदाई करने में रंग उर्वरक विस्फोटक दवाई इत्यादि बनाने में भी होता है।
- HCL खाना पचाने में सहायक होता है जो हमारे अमाशय की ग्रंथियों से स्रावित होता है।
- HCL का उपयोग स्टार्च से ग्लूकोज बनाने में उत्प्रेरक रूप में होता है।
★ सभी खनिज अम्ल जैसे HCL, S2SO4 और NHO3 प्रबल ऑक्सीकारक अम्ल है तथा कार्बनिक अम्ल जैसे, साइट्रिक एसिड, फार्मिक एसिड, ऐसीटिक एसिड दुर्बल अम्ल में आते हैं।
★ सभी अम्ल में हाइड्रोजन समान रुप से विद्यमान होता हैं।
★ सभी अम्ल में हाइड्रोजन समान रुप से विद्यमान होता हैं।
H2SO4 को रसायन का राजा कहा जाता है।
★ अम्लराज (Aqua regia) सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल (3:1) का मिश्रण है, इस अम्ल में सोना तथा प्लेटिनियम भी घुल जाता है।
आरहेनिअस के अनुसार "क्षार वह पदार्थ है जो जलीय घोल में हाइड्रोक्साइड आयन (OH−) देता है।"
ब्रान्स्टेड-लॉरी सिद्धांत के अनुसार "क्षार वह पदार्थ है जो किसी अम्ल से प्रोटॉन ग्रहण कर सकता है।"
लुइस के इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत के अनुसार "क्षार वह पदार्थ हैं जिसमें इलेक्ट्रॉनिक की निर्जन जोड़ी प्रदान की क्षमता होती होती है।"
★ अम्लराज (Aqua regia) सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल (3:1) का मिश्रण है, इस अम्ल में सोना तथा प्लेटिनियम भी घुल जाता है।
★ कार्बन डाइऑक्साइड जल में घुलकर कार्बनिक अम्ल का निर्माण करती है।
★ आयल ऑफ़ विड्रॉल S2SO4 को कहा जाता है।
★ ग्लाइकोलिसिस में विघटन के फलस्वरुप एक ग्लूकोज अनु में दो पयरुविक अम्ल बनते हैं।
★ कॉपर सल्फेट का जलीय विलयन अम्लीय होता है।
★ मूत्र में यूरिक अम्ल की मात्रा 0.5% होती है। यूरोक्रोम के कारण मूत्र का रंग पीला होता है तथा अमोनिया के कारण इसमें गंध होता है।
★ सर्वाधिक अम्लीय वर्षा नार्वे में होती है।
★सॉफ्ट ड्रिंक में कार्बोलिक अम्ल मिलाने के कारण सुरसुराहट की आवाज होती है।
★Gibberellic acid को पादप वृद्धि अम्ल तत्व कहा जाता है।
★ अम्ल तथा भस्म की प्रतिक्रिया से लवन का निर्माण होता है।
★सोडियम क्लोराइड (NaCl) साधारण नमक है, इस नमक को टेबल सॉल्ट भी कहा जाता है। टेबल साल्ट का निर्माण HCL और सोडियम हाइड्रोक्साइड के प्रतिक्रिया से बनता है ।
★ जो अम्ल अधिक मात्रा में हाइड्रोजन आयन उत्पन्न करता है, उसे प्रबल अम्ल कहा जाता है और जो अम्ल कम मात्रा में हाइड्रोजन आयन उत्पन्न करता है, उन्हें दुर्बल अम्ल कहा जाता है।
★ जिस अम्ल में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन दोनों के परमाणु उपस्थित हो उसे आक्सी-अम्ल कहा जाता हैं। जैसे- सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड।
★ अकार्बनिक अम्ल के साथ धातु की प्रतिक्रिया होने पर हाइड्रोजन गैस निकलती है।
★ अम्लों में सबसे शक्तिशाली अपचायक नाइट्रिक एसिड (HNO3) है।
★ जिस अम्ल में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन दोनों के परमाणु उपस्थित हो उसे आक्सी-अम्ल कहा जाता हैं। जैसे- सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड।
★ अकार्बनिक अम्ल के साथ धातु की प्रतिक्रिया होने पर हाइड्रोजन गैस निकलती है।
★ अम्लों में सबसे शक्तिशाली अपचायक नाइट्रिक एसिड (HNO3) है।
अम्लों के रासायनिक गुण :
अम्ल धातु आक्साइडों के साथ क्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
एम्फोटेरिक आक्साइडों के साथ क्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
क्षारों के साथ क्रिया करके लवण व जल बनाते हैं (उदासीनीकरण अभिक्रिया)
अघुलनशील क्षारों के साथ क्रिया करके लवन और जल बनाते हैं।
लवणों के साथ क्रिया
शक्तिशाली अम्ल, कमजोर अम्लों के मूलकों को विस्थापित कर देते हैं।
(इस क्रिया में अस्थायी कार्बोनिक अम्ल
का निर्माण होता है जो तुरन्त पानी और कार्बन डाईआक्साइड में टूत जाता है।)
धातुओं के साथ क्रिया
नाइट्रिक अम्ल और सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल क्रिया अलग प्रकार से होती है-
। कार्बनिक अम्ल, अल्कोहल के साथ क्रिया करके इस्टर और जल बनाते हैं। इसे इस्टरीकरण क्रिया कहते हैं।
उदाहरण
क्षार (Base)
क्षार की परिभाषा : क्षार वे पदार्थ है जो अम्ल के साथ मिलकर जल और लवन बनाते हैं।आरहेनिअस के अनुसार "क्षार वह पदार्थ है जो जलीय घोल में हाइड्रोक्साइड आयन (OH−) देता है।"
ब्रान्स्टेड-लॉरी सिद्धांत के अनुसार "क्षार वह पदार्थ है जो किसी अम्ल से प्रोटॉन ग्रहण कर सकता है।"
लुइस के इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत के अनुसार "क्षार वह पदार्थ हैं जिसमें इलेक्ट्रॉनिक की निर्जन जोड़ी प्रदान की क्षमता होती होती है।"
क्षार के उपयोग | Uses of base :
- Mg(OH)2 ( मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड) या मिल्क ऑफ मैग्नीशिया एवं Al(OH)3 (एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड) का उपयोग पेट की अम्लीयता को दूर करने में किया जाता है इसीलिए इसे प्रतिअम्ल भी कहते हैं।
- Ca(OH)2 ( कैल्शियम हाइड्रोक्साइड ) या बुझा हुआ चूना का उपयोग दीवारों की पुताई में, गारा एवं प्लास्टर बनाने में, ब्लीचिंग पाउडर बनाने में, खारे जल को मृदु बनाने में, चमड़े के ऊपर के बाल को साफ करने में, अम्लीय के जलन पर मरहम के रूप में क्या जाता है।
- KOH ( पोटेशियम हाइड्रोक्साइड ) या कास्टिक पोटाश का उपयोग प्रयोगशाला में अतिक्रमण के रूप में मुलायम साबुन बनाने में तथा CO2 एवं SO2 गैसों की अवशोषक के रूप में होता है।
- NaOH ( सोडियम हाइड्रोक्साइड ) या कास्टिक सोडा का उपयोग साबुन बनाने में, कपड़ा एवं कागज बनाने में, दवा बनाने में, पेट्रोलियम को साफ करने में किया जाता है।
- CaO ( कैल्शियम ऑक्साइड ) या कली चुना का उपयोग कास्टिक सोडा, सोडियम कार्बोनेट, शीशा, ब्लीचिंग पाउडर बनाने एवं खाने के रूप में किया जाता है।
लवन (Salt)
लवण की परिभाषा : अम्ल एवं क्षार की प्रतिक्रिया के फलस्वरुप बने पदार्थ को लवन कहा जाता है।
लवन के उपयोग :
- K2SO2.AL2(SO4)3.24H2O (फिटकरी या पोटास एलम) का उपयोग एंटीसेप्टिक के रूप में, रंगाई में, अशुद्ध जल को शुद्ध करने में किया जाता है।
- CuSO4 का उपयोग कवकनाशी के रूप में, विद्युत लेपन, में रंगाई एवं छपाई में किया जाता है।
- NaCl (साधारण नमक) का उपयोग भोजन में, क्लोरीन, HCL, धोवन सोडा, कास्टिक सोडा इत्यादि बनाने में किया जाता है।
- NaHCO3 (खाने वाला सोडा) का उपयोग पेट की अम्लीयता को दूर कम करने एवं अग्निशामक यंत्रों में किया जाता है।
- Na2CO3 (धोवन सोडा) का उपयोग कपड़ो की धुलाई तथा कांच बनाने में किया जाता है।
- KNO3 का उपयोग बारूद बनाने में तथा उर्वरक के रूप में होता है।
pH मान | pH values :
किसी घोल में अम्ल तथा क्षरकता को व्यक्त करने के लिए 1909 में डेनिश रसायनशास्त्री सॉरेनसेन ने pH मान खोज किया।
अम्लीय विलयन का pH मान 7 से कम होता है तथा क्षारीय घोल का पीएच मान 7 से अधिक से अधिक होता है। सबसे कम पीएच मान S2SO4 (0) होता है। सबसे अधिक pH मान सोडियम हाइड्रोक्साइड (14) का होता है। pH मान 0 से 14 तक होता है। जल का pH मान 7 होता है जिसके कारण जल उदासीन होता है। जल की प्रवृत्ति उभयधर्मी होती है। सबसे शुद्ध जल वर्षा का जल (प्राकृतिक) तथा डिस्टिल वाटर (कृत्रिम) होता है। अम्लीय वर्षा में सल्फर डाइऑक्साइड (S2O) और NO2 होता है।
pH मान सूची :
पदार्थ
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pH values
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नींबू
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2.2
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सिरका
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2.4
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शराब
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2.8
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समुद्री जल
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8.4
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रक्त ( blood )
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7.4
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लार
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6.5
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दूध ( milk )
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6.4
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स्टमक
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7.8
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छोटी आत
|
7.5
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लिटमस पत्र
अम्ल एवं क्षार के विलियन को पहचानने के लिए लिटमस पत्र का उपयोग किया जाता है। लिटमस पत्र जो प्रयोगशाला में उपयोग होता है वह रॉसेला नामक लाइकेन से प्राप्त होता है। जहां अम्ल नीला लिटमस को लाल कर देता है वही क्षार लाल लिटमस को नीला कर देता है। अम्ल का स्वाद खट्टा होता है जबकि छार का स्वाद कड़वा होता है।