पाषाण युग | Stone Age history in Hindi - BHARAT GK -->

26 July 2017

पाषाण युग | Stone Age history in Hindi

पाषाण युग | Stone Age History in Hindi :

Stone age
पाषाण का अर्थ पत्थर होता है। मानव का पत्थरों पर आश्रित रहने के कारण इस काल को हम पाषाण काल कहते है। पाषाण काल को हम तीन भागों में बांटकर अध्ययन करते हैं –
1. पुरा पाषाण काल
2. मध्य पाषाण काल
3. नव पाषाण काल

पुरा पाषाण काल |Old stone age in Hindi

पुरापाषाण सभ्यता का विकास अति नूतन युग (Pliocene) में हुआ। इसी युग में घोड़ा हाथी तथा गाय का अभ्युदय घोड़ा हुआ। मनुष्य के पूर्वजों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और मानव शरीर का अवशेष भी कहीं से प्राप्त नहीं हुआ है सिर्फ छोटा नागपुर के पठार से पत्थर के उपकरण प्राप्त हुआ। लगभग 100000 ईसापूर्व जलवायु में परिवर्तन हुआ और जो उकहटिबंधीय घने जंगलों से बाहर आए वह Australopithecus कहलाए और जो जंगल में ही रह गए वह Ramapithecus कहलाये। विकसित मानव को ही Pithecanthropus या Homo erectus कहा जाता है। अति नुतन काल के अंत के मानव को Neanderthal कहा जाता है और आधुनिक मानव को Homo sapiens कहा जाता है।भारत के मूलनिवासी को Australopithecus और निगरेटो से जोड़ा जाता है। काकेसस का संबंध आर्य से जोड़ा जाता है। भारत में मानव का पहला कंगाल इलाहाबाद के निकट सराय नाहर से प्राप्त हुआ। पाषाण सभ्यता का अनुसंधान 1935 में डी केरा और पिटर्सन ने किया इनके अनुसार मानव सभ्यता का विकास अति नूतन युग में हुआ।
पाषाण के उपकरण के भिन्नता के अनुसार तीन भागों में बांटा गया है
  • निम्न पुरापाषाण काल (250000 - 100000 वर्ष पूर्व)
  • मध्य पुरापाषाण (100000- 40000 वर्ष पूर्व)
  • उत्तर पुरापाषाण (40000-10000 वर्ष पूर्व)
निम्न पुरापाषाण काल (250000-100000 वर्ष पूर्व) - निम्न पुरापाषाण का उपकरण पंजाब के सोहन घाटी से मिला है इसीलिए इसे सोहन संस्कृति भी कहा जाता है। डी केरा के अनुसार आदिमानव पंजाब में दक्षिण से आए।

मध्य पुरापाषाण (100000-40000 वर्ष पूर्व) - मध्य पूर्व पाषाण संस्कृति का विशेष उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से मिला है इस समय के उपकरण को माइक्रो लिथ कहा जाता है।

उत्तर पुरापाषाण (40000-10000 वर्ष पूर्व) - उच्च पुरापाषाण संस्कृति का उपकरण पंजाब तथा मध्य प्रदेश से प्राप्त हुआ है। इस समय के अस्थि निर्मित मातृदेवी की मूर्ति इलाहाबाद के बेलन घाटी से मिली। इस समय लोग कृषि तथा आग से अनभिज्ञ थे।

मध्य पाषाण काल (10000-7000 वर्ष पूर्व)

इस समय के मानव शिकार पर निर्भर थे। येलोग गाय, बैल, भेड़, बकरी का शिकार किया करते थे तथा कृषि की ओर अग्रसर हुए मध्य पाषाण काल के अंत में आग का आविष्कार हो गया था।

नवपाषाण काल | New stone age in Hindi (7000-5000 वर्ष पूर्व)

इस समय के लोग ने स्थाई जीवन को प्राप्त कर लिया था कृषि तथा पशुपालन आरंभ हो गया था तथा मिट्टी से पहिया तथा चाक पर सामान बनाना भी प्रारंभ हो गया था। मानव का अंतेष्टि किया जाना भी प्रारंभ हो चुका था। अंत्येष्टि का प्रमाण कश्मीर के बुर्जहोम से मिला है। यहां पर मानव के साथ कुत्ते को भी दफनाया जाता था। यहां के लोगों का मुख्य पेशा शिकार तथा मछली पकड़ना था इस समय इलाहाबाद की पूर्वी हवा में धान की खेती प्रारंभ हो चुकी थी। सिंध और बलूचिस्तान की सीमा पर स्थित मेहरगढ़ से प्रथम कृषि का साथ मिला है इस समय के मानव उपभोक्ता के साथ-साथ उत्पादक भी बन गए थे तथा चित्रकारी से भी यह लोग परिचित हो चुके थे।


ताम्र पाषाण काल | Chalcolithic (5000 - 3000 ई० पू०)

ताम्र पाषाण काल का समय 5000 से 3000 ई०पूर्व माना जाता है। इस समय के लोग ग्रामीण समुदाय के थे। इसी समय सर्वप्रथम मृदभांड का प्रयोग किया गया। यह काला और लाल रंग में मिलते हैं। इस समय के लोग कृषि कार्य तथा पशुपालन करते थे। प्रमुख फसल गेहूं तथा चावल था सबसे अधिक फसल महाराष्ट्र के नर्मदा घाटी में होता था। इस समय का सबसे बड़ा मानव बस्ती महाराष्ट्र का इमाम गांव था इसी गांव से मातृदेवी की मूर्ति मिली है। ये लोग मातृ देवी की पूजा करते थे। मालवा तथा राजस्थान से सांड की मूर्ति मिली है। इस समय का तांबा राजस्थान के खेतरी से मिला है। इस समय के बस्तियों की कई श्रृंखलाएं मिली हैं। प्राक् हड़प्पा, हड़प्पा संस्कृति तथा हड़प्पा उत्तर संस्कृति। प्राक हड़प्पा संस्कृति का अवशेष कालीबंग, बनवारी तथा कोट डीजी से मिला है। इस समुदाय के लोग सबसे पहले सिंध के मैदान में बसे और यही पर कांसा का ज्ञान प्राप्त कर नगर बसाया। ताम्रपाषाण के लोग सर्व प्रथम प्रायद्वीपीय भारत को अपना केंद्र बनाया। इस समय के लोग जब मृत्यु को प्राप्त करते थे तो उन्हें महाराष्ट्र में उत्तर-दक्षिण तथा दक्षिण भारत में पूर्व-पश्चिम रखा जाता था। इस समय के लोग हल का प्रयोग नहीं करते थे तथा झूम की खेती करते थे। ये लोग लेखनी कला से परिचित नहीं थे। सबसे अधिक औजार मध्य प्रदेश के गडरिया से प्राप्त हुआ है। हड़प्पा पूर्व ग्रामीण सभ्यता केंद्र मेहरगढ़ था।


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